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फाजिल्का जिले में पराली जलाने के मामले पिछले साल के मुकाबले 78 फीसदी कम हुए

 

- पिछले साल 1843 मामलों की तुलना में इस साल केवल 400 मामले आए

फाजिल्का, 2 दिसंबर

चाहे फसल विविधिकरण अपनाने की बात हो या खेती की नई तकनीक अपनाने की, फाजिल्का जिले के किसान हमेशा आगे रहते हैं। इस बार भी जिले के किसानों ने पराली प्रबंधन के लिए जिला प्रशासन और कृषि विभाग के प्रयासों को बड़े पैमाने पर समर्थन दिया है और जिले में पराली जलाने के मामलों में पिछले साल की तुलना में 78.29 प्रतिशत की कमी आई है।

जिले की उपायुक्त अमरप्रीत कौर संधू आईएएस के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने जिले में धान की कटाई की शुरुआत से ही एक व्यापक किसान जागरूकता अभियान शुरू किया और किसानों से सीधे संवाद करने की पहल की। जिससे प्रशासन किसानों को पराली जलाने के नुकसान और न जलाने के फायदे समझाने में सफल रहा.

जिले के मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. संदीप रिणवां ने बताया कि वर्ष 2022 में सैटेलाइट के माध्यम से जिले में पराली जलाने की 2856 घटनाएं दर्ज की गईं। पिछले साल यानी 2023 में यह संख्या 1843 थी और इस साल यह संख्या घटकर सिर्फ 400 रह गई है. उन्होंने कहा कि यह कमी तब और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब जिले में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष धान और बासमती के रकबे में वृद्धि दर्ज की गई है।

उन्होंने कहा कि इसलिए जहां किसानों को जिले में उपलब्ध मशीनों के बारे में पूरी जानकारी दी गई, वहीं जिले के पर्यावरण प्रेमी किसानों ने भी अपने पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्यों को समझा और इस बार पराली को जलाने की बजाय , उन्होंने वैकल्पिक तरीकों का इस्तेमाल किया और  गेहूं बोया।

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इसके अच्छे परिणाम किसानों को और अधिक देखने को मिलेंगे जब भूमि में पराली डालने से भूमि की उर्वरता धीरे-धीरे बढ़ेगी। उन्होंने किसानों द्वारा दिए गए समर्थन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग इसी तरह किसानों से संपर्क बनाए रखेगा और गेहूं की खेती के संबंध में सभी प्रकार की तकनीकी जानकारी किसानों को उपलब्ध कराएगा।

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